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भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी अशफाक हुसैन के उपचुनाव मे ताल ठोकने से कांग्रेस उम्मीदवार ओला के सामने संकट

  


        ।अशफाक कायमखानी।

झूंझुनू-राजस्थान।
                    राजस्थान मे सात विधानसभा के हो रहे उपचुनावों मे शेखावाटी जनपद का झूंझुनू विधानसभा क्षेत्र भी है जिस पर ओला परिवार का अधिकांश समय तक कब्जा रहा है। जहां से वर्तमान सांसद विजेंदर ओला स्वयं व उनके पिता शीशराम ओला चुनाव जीतते व हारते रहे है।लेकिन कांग्रेस की टिकट जबसे ओला परिवार झूंझुनू से लड़ने लगे तब से लेकर अबतक ओला परिवार के इर्दगिर्द मिलती रही है।
                    मुस्लिम व जाट बहुल झूंझुनू सीट पर मुस्लिम समुदाय भी लगातार टिकट की मांग करता रहा है। लेकिन उन्हें आज तक कांग्रेस की टिकट मिल नही पाई है। चुनाव मे जाट-मुस्लिम व दलित समुदाय के गठजोड़ के चलते ओला परिवार यहां से चुनाव जीतता रहा है। जब जब इस गडजोड़ मे दरार आई तब तब जनता दल से माहिर आजाद, भाजपा से डा. मूल सिंह शेखावत एवं सुमित्रा सिंह भी ओला परिवार को हराकर जीतते रहे। सुमित्रा सिंह निर्दलीय चुनाव भी यहां से ओला परिवार को हराकर जीत चुकी है।
            विधानसभा उपचुनाव मे झूंझुनू से कांग्रेस से मरहूम शीशराम ओला की तिसरी पिढी के अमित ओला उम्मीदवार है। जिसके पिता विजेंदर ओला के सांसद बनने पर रिक्त हुई सीट पर वो उम्मीदवार बने है। भाजपा ने राजेन्द्र भामू को उम्मीदवार बनाया है। पूर्व मंत्री व निकटवर्ती सीट उदयपुरवाटी से विधायक रहे राजेन्द्र सिंह गुढा ने निर्दलीय ताल ठोकी है। वही सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी अशफाक हुसैन के मैदान मे ताल ठोकने से चतुष्कोणीय मुकाबला हो सकता है। कांग्रेस व भाजपा ने जाट जाती के उम्मीदवार बनाये है। जबकि राजेन्द्रसिंह गुढा राजपूत व  अशफाक हुसैन मुस्लिम है। चुनाव मे सत्ता का चाबुक भी जमकर चलेगा। जिससे कांग्रेस हलके मे कमजोरी देखने को मिल सकती है।
             कुल मिलाकर यह यह है कि अनेक चुनावो के बाद भाजपा का बागी उम्मीदवार मैदान मे नही होने व प्रदेश मे सत्ता मे भाजपा होने से भाजपा उम्मीदवार को फायदा होगा। जबकि कांग्रेस के तीन तेराह होने के अलावा अशफाक हुसैन के बागी होकर चुनाव लड़ने से कांग्रेस के सामने संकट नजर आयेगा।वेसे 30-अक्टूबर को नाम वापसी के अंतिम दिन के बाद तस्वीर सामने आने लगेगी।

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