अंधविश्वास फैलने वालों के खिलाफ़ अगले संसद सत्र में बनाया जाए क़ानून : शाहनवाज़ आलम


लखनऊ, 7 जुलाई 2024. भविष्य में हाथरस जैसी घटनाओं को रोकने के लिए मौजूदा कानून से अलग अंधविश्वास निवारण के लिए केंद्रीय कानून बनाया जाना चाहिए. भाजपा को वोट बैंक के लिए बाबाओं का संरक्षण बन्द कर देना चाहिए. 

ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 152 वीं कड़ी में कही.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने 42 वां संविधान संशोधन करके राज्य की ज़िम्मेदारी वैज्ञानिक चेतना का प्रचार प्रसार करना सुनिश्चित किया था. जिसके बाद दूरदर्शन और रेडियो के माध्यम से बच्चों और युवाओं में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए कार्यक्रम प्रसारित किये जाते थे. वहीं ज़िला स्तर पर भी सरकार वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए अभियान चलवाती थी. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद से ऐसे अभियानों को जानबूझ कर खत्म कर दिया गया.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा को लगता है कि वैज्ञानिक चेतना का विस्तार हुआ तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जायेगा इसीलिए वो अंधविश्ववास फैलाने वाले बाबाओं का संरक्षण करती है और अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता फैलाने वाले गोविंद पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर जैसे कार्यकर्ताओं की हत्या भाजपा सरकार में हो जाती है.

उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता में नरबलि को अंजाम देने वालों को दंड देने का प्रावधान तो है, लेकिन यह काला ज़ादू तथा अन्य अंधविश्वासी प्रथाओं के कारण होने वाले अपराधों के रोकथाम में सक्षम नहीं है। ऐसे में ज़रूरी है कि अलग से कठोर प्रावधान लाए जाएं. इसे घरेलू हिंसा निरोधक कानून के उदाहरण से समझा जा सकता है। हमारे दंड संहिता में हिंसा के विरुद्ध प्रावधान होने के बावज़ूद घरेलू हिंसा के लिये हमें अलग से कानून की ज़रूरत इसलिये पड़ी, क्योंकि घरेलू हिंसा के मामलों में पीड़िता का अभियुक्त से सामान्य के बजाय विशेष संबंध होता है। ठीक ऐसा ही संबंध इन अंधविश्वासों को बढ़ावा देने वाले स्वयंभू धर्मगुरुओं और भक्तों के बीच है। अतः अंधविश्वासों पर पूरी तरह से लगाम लगाई जा सके, इसके लिये सरकार को अगले संसद सत्र में दंड संहिता में सुधार करते हुए नया कानून लाना चाहिए।


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