राजस्थान मे लोकसभा चुनाव की तैयारी मे जुटे राजनीतिक दल।
।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
हालांकि पीछले दो चुनावों से राजस्थान की सभी पच्चीस लोकसभा
सीटो पर भाजपा जीतती आ रही है। लेकिन 2024 के चुनाव मे भाजपा झटका खाने से
डर के मारे फूंक फूंक कर रणनीति को आगे बढा रही है। जबकि कांग्रेस कुछ सीटो
पर कब्जा करने का प्लान इण्डिया गठबंधन के साथ साथ भारतीय आदीवासी पार्टी व
रालोपा को साथ लेकर बनाने की कोशिश मे है। भारतीय आदीवासी पार्टी ने वैसे
डूंगरपुर- बांसवाड़ा व उदयपुर सीट अपने दम पर लड़ने का ऐहलान करके कांग्रेस
पर दवाब बनाया है।
आदीवासी बेल्ट मे बाप
के तीन विधायक जीत कर आये वहां कांग्रेस तीसरे नम्बर पर रही है। कुछ सीटों
पर बाप के कारण कांग्रेस हारी भी है। रालोपा के हनुमान बेनीवाल मात्र एक
विधायक जीत कर आये है। जबकि पीछली विधानसभा मे उसके तीन विधायक थे। माकपा
के पीछली विधानसभा मे दो विधायक थे। अबकी बार एक भी विधायक जीत नही पाया
है।
भाजपा ने विधानसभा
चुनाव मे अपने छ लोकसभा सदस्यों को चुनाव लड़वाया। जिनमे से तीन जीते व तीन
हारे। जीतने वालै तीनो मे से अलवर सांसद महंत बालकनाथ को छोड़कर बाकी दो
राजसमंद सांसद दीया कुमारी व जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह
राठौड़ को राज्य सरकार मे मंत्री बना दिया है। यानि चुनाव लड़े छ सांसद के
अलावा अन्य दस-बारह अन्य सांसदों के टिकट भाजपा द्वारा काट कर नये
उम्मीदवार मैदान मे उतारने की सम्भावना है। राममय माहोल व मोदी का चेहरा
होने के बावजूद भाजपा इस समय कुछ डरी हुई नजर आती है।एक दो सीट का झटका भी
भाजपा को भारी पड़ेगा। भाजपा नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भाजपा
सरकार के शपथ समारोह सहित भाजपा दफ्तर मे प्रधानमंत्री मोदी की मीटिंग से
दूरी बनाने के अलावा चुनाव को लेकर हो रही मेराथन बैठकों मे नहीं पहुंचना
भी भाजपा को भारी पड़ सकता है। आम चुनाव मे कांग्रेस उम्मीदवार की मृत्यु
होने के बाद हुरे करणपुर विधानसभा चुनाव के चलते भाजपा उम्मीदवार सुरेन्द्र
पाल टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलाने के बावजूद भाजपा का वहां हारना भाजपा
को बडा झटका माना जा रहा है।
कांग्रेस हाईकमान अपने दिग्गज नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़वाना चाहती है।
लेकिन दिग्गज नेता युवाओं को मौका देने का कहकर स्वयं हार के डर से चुनाव
लड़ने से कन्नी काटना चाहते है। फिर भी सम्भावन है कि कांग्रेस के पूर्व
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट व प्रदेश कांग्रेस
अध्यक्ष गोविंद डोटासरा सहित अन्य नेताओं को चुनाव लड़ना पड़ सकता है। तीनो
ही वर्तमान मे विधानसभा चुनाव जीत कर आये है। बताते है कि अशोक गहलोत स्वयं
चुनाव ना लड़कर अपने पूत्र वैभव गहलोत को जोधपुर की बजाय पाली से चुनाव
लड़वाना चाहते है।
पहले के मुकाबले
कांग्रेस का अहंकार टूटने के कारण वो राजस्थान मे रालोपा-माकपा व बाप से
समझोता कर सकती है। माकपा वैसे तो सीकर-चूरु व बीकानेर सीट पर दावा जता रही
है। 1989 मे समझोता के तहत कामरेड श्योपत सिंह लोकसभा चुनाव जीतकर माकपा
के सांसद बने थे। सूत्र बताते है कि माकपा को चूरु या सीकर मे से एक सीट
गठबंधन के तहत मिल सकती है। जबकि रालोपा को नागौर की सीट दी जा सकती है।
हाल ही मे हुये विधानसभा चुनाव मे मिले मतो के हिसाब से पच्चीस
सीटो मे से ग्यारह पर कांग्रेस व 14 पर भाजपा आगे रही है। शेखावाटी की तीन
सीटो सहित जयपुर ग्रामीण, बाडमेर, श्रीगंगानगर, बीकानेर सहित जाट-मुस्लिम व
मेघवाल बहुल सीटो पर कांग्रेस आगे रही है। जबकि मेवाड़ व पूर्वी राजस्थान
मे भाजपा का डंका बजा है।
भाजपा की चुनावी
रणनीति वैसे तो मोदी व अमित शाह एवं संघ बनाती है। लेकिन इसके अलावा
राजस्थान के पच्चास जिलो को पच्चीस मंत्रियों को बांटकर प्रत्येक मंत्री को
दो दो जिलो मे रणनीति बनाकर चुनाव जीताने की जिम्मेदारी दी जायेगी। जिसमे
उनका गृह जिला शामिल नहीं होगा। यह मंत्रियों की अग्नि परीक्षा होगी। जो
मंत्री इसमे सफल नही हो पाये उनको परिणाम भूगतने होगे। जबकि कांग्रेस जातीय
आधार पर उम्मीदवार चयन करके जाट-दलित व मुस्लिम बहुल सीटो पर अधिक फोकस
करेगी। ताकि हर हालत मे सीट निकाल पाये।
कुल मिलाकर रह है कि दिसंबर मे सरकार गठित होने के बाद प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी दुसरी दफा आज राजस्थान आ रहे है। उन्होंने राजस्थान पर पूरा
फोकस कर रखा है। एक ऊंचाई तक जाने के बाद निचे आने के सिंद्धात के तहत
राजस्थान की सभी पच्चीस सीट जीतने वाली भाजपा अब फिर से सभी सीट जीतना
चाहती है। जबकि कांग्रेस 2024 के चुनाव मे कुछ सीटें छीनकर भाजपा को झटका
देना चाहती है। मार्च के पहले पंखवाड़े मे चुनाव की घोषणा की सम्भावन व
अप्रैल-मई मे मतदान होने की उम्मीद को लेकर राजनीतिक दल चुनावों की तैयारी
मे लग चुके है।
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