।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
सीकर के पीपराली गावं की गोचरभूमि पर आश्रम बनाकर रहने को लेकर सालो से विवाद मे रहते आये सीकर से लोकसभा सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती के खिलाफ जयपुर के आदर्श नगर थाने में इस्तगासा के जरिए कल शाम धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज हुआ है। आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान के मंत्री जीववर्धन शास्त्री ने यह मामला दर्ज कराया है। रिपोर्ट में सांसद सुमेधानंद के अलावा गोपालपुरा स्थित मुक्तानंद नगर निवासी देवेंद्र कुमार,भरतपुर के बयाना निवासी रवि शंकर गुप्ता, अंकुर जैन और दीपक शास्त्री को नामजद किया गया है।
मामले में सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती पर आरोप लगाया गया है कि वे वर्ष 2021 में आर्य सभा राजस्थान के प्रधान चुने गए थे लेकिन कुछ समय पश्चात उन्होंने अपनी व्यक्तिगत व्यस्तता का हवाला देकर पद से इस्तीफा दे दिया था और उनके स्थान पर किशन लाल गहलोत को प्रधान बना दिया गया। सांसद ने प्रधान न रहते हुए अन्य पदाधिकारियों के साथ फर्जी लेटर पैड छपवा कर सभा की अवैध बैठक बुलाने लगे। सांसद ने अपने राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए बैंक खाते भी सभा के बंद करवा दिए और रजिस्टार सोसायटी को भ्रमित किया। सांसद अन्य पदाधिकारियों के साथ प्रतिनिधि सभा की अचल संपत्तियों को हथियाना चाहते हैं। आदर्श नगर थाने के एसीपी हवा सिंह ने बताया है कि कोर्ट इस्तगासा के जरिए मामला दर्ज हुआ है। इधर सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने कहा, पुलिस में दी गई शिकायत की उन्हें जानकारी नहीं है। वे 40 वर्ष से आर्य समाज की सेवा कार्य में जुटे हैं अभी वो मुंबई में है। आते ही मामले का पता लगायेंगे।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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