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जिले मे अधिकारियों की पोस्टिंग को लेकर संगठन मुखिया का जिले की राजनीति मे बढता प्रभाव। जिले की कांग्रेस राजनीति मे नेताओं की अंदरूनी कलह से विस्फोटक हालात बनने लगे।

 


              ।अशफाक कायमखानी।
सीकर।

               राजनीति के इतिहास मे पहला अवसर है कि वर्तमान विधानसभा मे जिले की सभी आठो सीटो पर कांग्रेस या कांग्रेस समर्थक निर्दलीय विधायक जीते एवं विपक्ष का एक भी विधायक जीत नही पाया। जिले की आठो विधानसभा क्षेत्रो से उक्त विधायकों की जीत मे चुनावों से कुछ समय पहले कांग्रेस मे आये पूर्व केन्द्रीय मंत्री व जनता से सीधा संवाद रखने वाले सुभाष महरिया की महत्वपूर्ण भूमिका राजनीतिक हलके मे मानी जाती है। जबकि सरकार गठन के बाद संगठन मुखिया के सरकार मे पहले मंत्री बनने व फिर प्रदेशाध्यक्ष बनने से वर्तमान गहलोत सरकार मे पीछलै साढे तीन साल से उनकी जिले मे उपखण्ड स्तरीय पदो पर अधिकारियों की पोस्टिंग को छोड़कर बाकी सभी जिला स्तरीय अधीकांश पदो पर अधिकारियों की पोस्टिंग सरकारी नीती अनुसार उनकी डिजायर पर ही होता आ रही है।
                सीकर के जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के पदो पर पोस्टिंग मुख्यमंत्री सचिवालय की तरफ से अधिकारियों की काबलियत व उनकी उपयोगिता के मुताबिक होती रही है। लेकिन रेवेन्यू अपील अथोरिटी RAA, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, डीआईजी स्टाम्प, जिला रसद अधिकारी, यूआईटी सचिव व अतिरिक्त कलेक्टर के पद पर संगठन मुखिया की इच्छानुसार ही वर्तमान सरकार मे पोस्टिंग होती रही बताते है। गहलोत के मुख्यमंत्री कार्यकाल मे हमेशा से विधायकों की डिजायर प्रथा को मजबूती दी जाती रही। इस दफा इस प्रथा को ओर अधिक मजबूती दी जाती रही बताते है। इसमे सीकर जिले मे संगठन मुखिया की डिजायर को काफी  अहमियत मिलती आ रही है।
                दो महिने पहले राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की आयी लम्बी सूची मे एक अधिकारी के बीकानेर से सीकर मे पदस्थापित करने के जारी आदेश से बडा बवाल आया हुवा था, जो कल पांच अधिकारियों के विशेष तौर पर निकले तबादला आदेश से एक दफा शांत हुवा सा लगता है। रेवेन्यू अपील अथोरिटी के पद पर लगाने के लिये संगठन मुखिया ने मुख्यालय पर पदस्थापित एक अधिकारी की पहले से डिजायर कर रखी बताते। लेकिन झूंझुनू के एक मंत्री व जिले के एक विधायक की डिजायर पर दुसरे अधिकारी के इस पद के लिये आदेश जारी हो गये। बताते है कि संगठन मुखिया ने पहले उस अधिकारी को जोइनिंग से रुकवाया ओर कल के आदेश मे अपनी पूरानी डिजायर वाले अधिकारी को लगाने के आदेश जारी करवा लिये। उस अधिकारी की रिक्त होने वाली सीट पर भी मुखिया की पहले की गई डिजायर वाले अधिकारी को लगाने के आदेश जारी हो गये। बताते है कि सगठन मुखिया की इच्छा के विपरीत एक अधिकारी के सीकर लगने के आदेश जारी होने पर उन्हें पहले जोइनिंग से रुकवाया गया। अब कल के आदेश मे उनके राजधानी से दूर मारवाड़ मे लगाया गया बताते। इसी तरह दो अन्य विधायकों के क्षेत्र के हिस्से वाली सीकर यूआईटी के सचिव पद पर व रसद वाले विभाग मे अधिकारी लगाने मे संगठन मुखिया की एक तरफा चलती आ रही बताते है।
                 समय समय पर संगठन मुखिया के जिले की राजनीति पर उनके बढते प्रभाव के दृश्य अक्सर नजर आते रहते है। संगठन के जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति मे उनकी एक तरफा चली। वही हाल ही मे नेछवा मे कोठयारी मे एक शिक्षण संस्थान के कार्यक्रम मे मुख्यमंत्री की मोजूदगी मे उनके अलावा मात्र एक विधायक व एक पूर्व केन्द्रीय मंत्री को बोलने का अवसर देने के अलावा वहां मंचासीन अन्य विधायकों को मंच से बोलने का भी अवसर नही मिलना राजनीतिक हलके मे काफी चर्चा का विषय अभी भी बना हुवा है। उक्त कार्यक्रम मे पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व दिग्गज कांग्रेस नेता चोधरी नारायण सिंह का आमंत्रित लोगो मे नाम तक भी नही था। उक्त कार्यक्रम मे चौधरी नारायण सिंह की गैरमौजूदगी गूरू-शिष्य की कहानी की याद ताजा करती है। मुख्यमंत्री के उक्त कार्यक्रम मे चौधरी नारायण सिह के अलावा पूर्व मंत्री व धोद विधायक परशराम मोरदिया व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व श्रीमाधोपुर विधायक दीपेन्द्र सिंह शेखावत की गैरमौजूदगी की भी काफी चर्चा रही थी।
                   कुल मिलाकर यह है कि वर्तमान गहलोत सरकार मे संगठन मुखिया की अधीकांश मामले मे जिले मे एक तरफा चलने से उनका वर्तमान समय की राजनीति मे बढता प्रभाव माना जा रहा है। जबकि आज के मुकाबले 2023 के विधानसभा चुनावों मे एवं इसी महीने की पच्चीस तारीख के बाद रीट को लेकर ईडी की सम्भावित दखल से राजनीतिक समीकरण मे बदलाव आने की सम्भावना भी जताई जा रही है। बताते है कि ईडी के निशाने पर इस मामले मे तीन मंत्री व पांच विधायक भी बताते है।


 


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