।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
राजस्थान मे मुस्लिम समुदाय के खासतोर पर प्रशासनिक सेवा व पूलिस सेवा एवं न्यायीक सेवा के लगातार सेवानिवृत्त होते उच्च अधिकारियों के मुकाबले नये तौर पर आने वाले अधिकारियों की तादाद बहुत कम देखी जा रही है। इस माह से लेकर 2024 के आखिर तक होने उक्त सेवा के अधिकारियों के होने वाले सेवानिवृत्ति को देखते हुये एक खाली खाली नजर आने लगेगा। अगर नये तौर पर बतौर अधिकारी सलेक्ट नही हो पाये तो चंद गिनती के अधिकारी ही रह जायेंगे।
अगर हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट नही जा पाते है तो जस्टिस मोहम्मद रफीक इसी माह की चोबीस तारीख को सेवानिवृत्त हो जायेंगे। वही भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी उमरदीन खान IAS अगले महने तीस जून को सेवानिवृत्त हो रहे है। इसके अलावा भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी व वर्तमान मे अतिरिक्त पुलिस आयुक्त जयपुर, हैदर अली जैदी IPS इसी साल इकतीस अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे है। न्यायीक सेवा के जिला जज केडर के अधिकारी शहाबुद्दीन खान DJ भी इसी मई महीने सेवानिवृत्त हो जायेगे। राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शौकत अली RAS भी अगले माह तीस मई को सेवानिवृत्त हो रहे है।
कुल मिलाकर यह है कि आर्थिक-शैक्षणिक व सरकारी सेवा मे विशेष रुप मे पिछड़े मुस्लिम समुदाय के गिने चुने अधिकारी भी एक एक करके सेवानिवृत्त हो रहे है। शैक्षणिक तौर पर कड़ी मेहनत करके सरकारी सेवा मे जाने की लालसा रखने के प्रति निरंतर उदासीनता की चादर चलने लगी है। समाज का अपने आपमे प्रबुद्ध वर्ग कहलाने वाला भी कुम्भकर्ण की नींद मे सोया हुवा है। युवा पीढी को राह नही दिखने या दिखाने के चलते वो दिगभ्रमित होकर पटरी पर नही आ पा रही है। मिल्लत की बेबसी भी देखिये कि बहुत जदोजहद के बाद जयपुर मे सरकार द्वारा वक्फ भूमि पर छात्रो के लिये हास्टल निर्माण की स्वीकृति होने के बावजूद चंद लोगो के विरोध के बावजूद हास्टल बन नही पा रहा है। ओर पूरी मिल्लत इसको देख रही है। अगर हास्टल बन जाये तो प्रदेश भर के छात्र राजधानी आकर कुछ बेहतर बनने की कोशिश कर सके।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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