राजस्थान के मुस्लिम समुदाय को अपने पीछड़ेपन का किसी पर इल्जाम लगाये बीना अब तो अपने आपके लिये सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा।
RAS व RPS मे एक भी मुस्लिम अभ्यर्थी जगह पाने मे सफल नही हो पाया। R.Ac सेवा मे मात्र एक अभ्यर्थी ने जगह बनाई।
।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
हालांकि चुनाव के समय मुस्लिम समुदाय नेताओं के आगे पीछे जमकर उनके पक्ष मे नारेबाजी व डोल-ढमाके बजाने मे कोई कसर नही छोड़ता है। उसी लह मे समुदाय को चलाकर अपने आप को अपने राजनीतिक दल मे अपने आपके लिये कुछ पाने की कोशिश मे मुस्लिम राजनेताओं द्वारा भी भरसक प्रयत्न करने के प्रमाण अक्सर मिलते रहते है। लेकिन अपनी युवा पीढी को कम से कम राज्य स्तरीय सेवाओं की परीक्षाओं को क्रैक कर सफल अभ्यर्थी बनाने के लिये समुदाय मे उदासीनता देखा जाना आम होता जा रहा है।
भारत के दक्षिणी हिस्से पर नजर डाले तो खासतौर पर हमारे हिन्दी भाषी क्षेत्रो के मुकाबले खासतौर पर तेलंगाना-आंध्रप्रदेश-कर्नाटक-केरल-तमिलनाडु व कुछ हदतक महाराष्ट्र के अधीकांश मुस्लिम राजनेता राजनीति मे आने से पहले या आने के साथ किसी ना किसी रुप मे मयारी तालीमी सेंटर का संचालन करते है या फिर उस फिल्ड मे अपनी सेवाएं देते रहते है। उनके मुकाबले हिन्दी भाषी प्रदेशो के मुस्लिम समुदाय मे ऐसा चलन का आमतौर पर अभाव देखने को पाते है।
राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा 2018 की वेकेंसी के मुकाबले हुई परीक्षा व इंटरव्यू के बाद जारी परीक्षा परिणाम के उपरांत कल 24-दिसंबर की रात कार्मिक विभाग द्वारा उनकी वरीयता के अनुसार उन्हें विभिन्न सेवाओं के लिये केडर अलाट करके दो साल के प्रोबेशनरी एपोइंटमैंट दिया है। जिनमे प्रमुख तीन सेवाओं पर नजर डालने पर पाते है कि राजस्थान प्रशासनिक सेवा के 78-अधिकारी, राजस्थान पुलिस सेवा के 36 अधिकारी व राजस्थान एकाऊंट सेवा के 106 अधिकारियो को ट्रेनिंग के लिये बूलाया गया है। जिनमे RAS व RPS सेवा मे मुस्लिम अभ्यर्थी का प्रतिनिधित्व शून्य है। यानि एक भी मुस्लिम अभ्यर्थी अपनी जगह बनाने मे सफल नही हो पाया है। जबकि R.Ac सेवा मे मात्र एक शादाब अंसारी नामक अभ्यर्थी अपनी जगह बना पाने मे सफल हुवा है।
हालांकि राजस्थान की उक्त तीनो सेवाओं मे वर्तमान समय मे मुस्लिम प्रतिनिधित्व ना के बराबर है।सफल अभ्यर्थियों के आंकड़े पहले भी कोई खास अहमियत वाले नही रहे है। पर अक्सर एक-दो अभ्यर्थी जगह पाने मे सफल होने के समाचार मिलते रहते थे। सेवानिवृत्त आईएएस जे.एम खान की कोशिशों से जयपुर मे मोतीडूंगरी रोड़ स्थित नानाजी की हवेली मे मुस्लिम बच्चों के लिये सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कराने के परिणाम तत्तकालीन समय मे सुखद बताये जाते है।
कुल मिलाकर यह है कि मुस्लिम समुदाय विभिन्न स्तर पर पीछड़े होने का इल्जाम सरकार या अन्य किसी पर लगाकर अपने आपसे बच नही सकता।उन्हें अव्वल सोचना होगा कि वो पीछड़ेपन के दंश से छुटकारा पाने के लिये किस हदतक कितने प्रयास स्वयंं के स्तर पर कर रहे है।
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