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सुजानगढ़ विधानसभा उपचुनाव मे कांग्रेस को जीत के लिये काफी पापड़ बेलने होगे। - मुस्लिम मतदाताओं की उदासीनता दूर करनी होगी। किसान आंदोलन के कारण किसान वर्ग का झुकाव कांग्रेस की तरफ बढा।


                    ।अशफाक कायमखानी।
सुजानगढ़ (चूरु)।

                           हालांकि 2008 के डिलिमिटेशन के बाद चूरु जिले मे अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित सीट सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र के जाट बहुल्य अनेक गावों को रतनगढ़ विधानसभा मे शामिल करने के बाद जाट मतदाताओं का महत्व  कम होने के कारण सुजानगढ़ क्षेत्र मे सुजानगढ़ व बीदासर शहरी मतदाताओं के साथ साथ कुछ मुस्लिम बहुल गांवों के शामिल होने के कारण मुस्लिम मतदाताओं का महत्त्व बढने के कारण ही 2018 के चुनाव मे जीत दर्ज करने के बाद मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा था कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र की बूथो पर उनके पक्ष मे एकतरफा मत पड़ने से उनकी जीत को आसान बनाया। पर वर्तमान समय मे उर्दू शिक्षक व मदरसा पैराटीचर्स संघ सहित अन्य सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के दौरै व सभा करने व गहलोत सरकार से अनेक मसलो को लेकर मुस्लिम समुदाय की नाराजगी व उदासीनता के कारण कांग्रेस के सामने उपचुनाव मे बडा संकट खड़ा होता दिखाई दे रहा है। वैसे इतना सबकुछ होने के बावजूद कांग्रेस मुस्लिम मतो को आज भी अपनी झोली मे आना ही मात्र एक विकल्प मानकर चल रही है।
                  हाल ही मे पंचायत व निकायो के हुये चुनाव मे सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र की सुजानगढ़ पंचायत समिति की प्रधान भाजपा की मनभरी देवी व बीदासर पंचायत समिति कै प्रधान पर भाजपा की संतोष मेघवाल का कब्जा हुवा है। जबकि सुजानगढ़ नगरपालिका चेयरमैन पर पर कांग्रेस की नीलोफर व बीदासर नगरपालिका चेयरमैन पद पर भाजपा के प्रजापत ने कब्जा जमाया है। दोनो प्रधान पर भाजपा का व दो नगरपालिका चेयरमैन पदो मे से एक पर भाजपा का कब्जा होना भी कांग्रेस के लिये खतरे की घंटी बजना है।
               2018 के आम विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस के उम्मीदवार मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने भाजपा उम्मीदवार खेमाराम मेघवाल पर अडतालीस हजार मतो से अधिक मतो से जीत दर्ज की थी। उस समय मास्टर भंवरलाल को 83632 मत मिले थे। भाजपा उम्मीदवार खेमाराम को 44883 व भाजपा की बागी उम्मीदवार संतोष मेघालय को 38603 मत मिले थे। अगर भाजपा उम्मीदवार खेमाराम व भाजपा बागी उम्मीदवार संतोष के मतो को मिलाते है। उन दोनो के कुल मत कांग्रेस उम्मीदवार भंवरलाल से कुछ अधिक ही बैठते है। वर्तमान समय मे खेमाराम व संतोष दोनो भाजपा मे है एवं खेमाराम की पत्नी मनबरी देवी व स्वयं संतोष दोनो सुजानगढ़ व बीदासर पंचायत समिति की प्रधान निर्वाचित है। पर 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके उक्त दोनो नेता अब भाजपा की टिकट पाने मे लगे हुये है।
               आरक्षित सीट सुजानगढ़ के 2013 के विधानसभा चुनाव मे 72.28 प्रतिशत मतदान हुवा था जबकि 2018 के चुनाव मे 61.8 प्रतिशत मतदान हुवा था। वही 2013 के विधानसभा चुनाव मे भाजपा उम्मीदवार खेमाराम मात्र 13649 मतो से जीत पाये थे। 2018 के विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस उम्मीदवार भंवरलाल को 83632 व भाजपा के खेमाराम को 44883 व भाजपा बागी संतोष को 38603 व बसपा के सीताराम को 4802 मत मिले थे। यानि भंवरलाल को 45.62 प्रतिशत व खेमाराम को 24.48 प्रतिशत व संतोष को 21.06 प्रतिशत मत मिले थे। वर्तमान समय मे 2 लाख 60 हजार मतो वाली विधानसभा मे करीब चालीस हजार से अधिक मुस्लिम मतदाता व पचास हजार के करीब जाट मतदाता बताते है।
            मरहूम मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कुल दस चुनाव लड़े जिनमे से पांच चुनाव जीतकर विधायक बने थे। अब उपचुनाव मे उनके पुत्र मनोज मेघवाल का कांग्रेस उम्मीदवार बनना लगभग तय है। जबकि भाजपा की टिकट पाने के लिये पूर्व मंत्री खेमाराम, प्रधान संतोष व गैर मेघवाल पूर्व विधायक रामेश्वर भाटी दौड़ लगा रहे है। भाजपा टिकट चाहे किसी को भी मिले पर मुकाबला कड़ा होने की सम्भावना है। कांग्रेस जिला महासचिव व सुजानगढ़ निवासी यूनूस हासमखानी कांग्रेस की जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है। वही भाजपा नेता पंचायत समिति चुनाव परिणाम से उत्साहित होकर अपनी जीत को पक्की मान रहे है। सियासी जानकर दोनो दलो के सम्भावित भागी उम्मीदवार होने या फिर अंदरुनी चोट पर परिणाम निर्भर होना मान रहे है।कुछ चुनावी गणितज्ञ मुस्लिम मतो के मत प्रतिशत घटने या बढने से भी परिणाम प्रभावित होने की सम्भावना जता रहे है।
         भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारो के अलावा चुनाव पर नजर रखने वाले बताते है कि सुजानगढ़ उपचुनाव मे सांसद हनुमान बेनीवाल की रालोपा, सांसद असुदुद्दीन आवेसी की एआईएमआईएम व बसपा का संयुक्त उम्मीदवार मैदान मे उतारकर चुनावी मुकाबले को रोमांचक बनाकर दोनो राष्ट्रीय दलो को पटखनी देने के लिये गैर मेघवाल उम्मीदवार मेदान मे उतारने मे एक धड़ा काफी प्रयासरत है।

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