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केन्द्र सरकार किसान आंदोलन को हल्के मे ले रही है। जबकि आंदोलन ने लोगो के दिलो को धीरे धीरे जगा कर उभाल ला दिया है।

 
                ।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।

             केन्द्र सरकार द्वारा कृषि के सम्बन्धित बनाये तीन काले कानूनो को वापिस लेने की मांग को लेकर भारत भर मे अलग अलग तरह से चल रहे किसान आंदोलनों के अलावा दिल्ली से लगती अन्य प्रदेशों की सीमाओं पर अलग अलग जगह पर इसी मांग को लेकर करीब पचेतर दिन से धरने पर बैठे किसानों की आवाज ने लोगो को धीरे धीरे जगाकर उनके मन मे सरकार के खिलाफ उभाल लाने का काम कर दिया है। जबकि राज्यसभा मे आज प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते हुये लगा कि सरकार उक्त आंदोलन को अभी भी बहुत हल्के मे ले रही है। इसके विपरीत आंदोलनों के जानकारों का मानना है कि उक्त आंदोलन केंद्र सरकार व भाजपा पर ज्यो ज्यो आगे बढेगा त्यो त्यो काफी भारी साबित होगा।
              हालांकि आंदोलन की शूरुआत सर्दी की शूरुआत के साथ होने के कारण ज्यो ज्यो सर्दी बढी त्यो त्यो किसानों की तादाद उतनी नही बढी जितनी ज्यो ज्यो अब फरवरी माह से मोसम मे गरमी बढने के साथ बढेगी। पहले पंजाब फिर हरियाणा व पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान दिल्ली के सीमाओं पर डेरा डाल कर तीनों कानून रद्द करने की मांग करने लगे। उसके बाद उतराखण्ड व राजस्थान के किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच ही नही गये बल्कि अपने अपने प्रदेशो के जिला व ब्लाक स्तर तक आंदोलन को लेजाकर गावं गावं ढाणी ढाणी के किसान व आम जनता को इस आंदोलन से जोड़ लिया।
            दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों को समर्थन देने ठण्ड को सहन नही करने वाले उन प्रदेशो के किसान भी दिसम्बर-जनवरी माह मे आये लेकिन हाड कम्कम्पा देने वाली सर्दी के कारण वो दिल्ली की सीमाओं पर अधिक दिन रुक नही पाये। अब ज्यो ज्यो गर्मी बढेगी त्यो त्यो आंधराप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र , गुजरात व दक्षिणी भारत के अन्य प्रदेशो से बडी तादाद मे किसान चलकर दिल्ली की सीमाओं पर आकर लम्बे समय तक डेरा डालकर बैठ सकते है। इसी तरह सर्दी कम होने व गर्मी बढने के साथ अब पंजाब, हरियाणा, यूपी, दिल्ली, मध्यप्रदेश, व राजस्थान से भी किसान मजदूर व आम लोगो की दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के साथ जाकर साथ देते नजर आ रहे है एवन आयेगे। साथ ही उक्त किसान आंदोलन जो अब जिला व कस्बो मे धीरे धीरे चल रहा था। वो मोसम मे गर्मी आने के साथ साथ जिला-कस्बे से बढकर गावं ढाणियों तक तेजी के साथ फैलने लगेगा। जिसके कारण केन्द्र सरकार व भाजपा के खिलाफ गुस्सा तेजी के साथ निचे तक परवान चढेगा।
              कुल मिलाकर यह है कि केन्द्र सरकार को चल रहे किसान आंदोलन की वास्तविकता का अहसास करते हुये अपनी हठधर्मिता को छोड़कर जल्द से जल्द कृषि सम्बन्धित तीनो काले कानूनों को वापस लेकर किसानों की मांग को सम्मान के साथ मान लेना चाहिए। अन्यथा शांति पूर्वक चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन एक दिन बडे आंदोलन का रुप धारण कर लेगा। तब सरकार को मजबूरन तीनो काले कानून रद्द करने का ऐहलान करना पड़ सकता है।

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