।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।
नगरीय विकास मंत्री श्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में राजस्व मंत्री की ओर से पुछे जाने पर बताया कि सिवायचक भूमि पर बसे गाँवों में भूमि रूपान्तरण के बाद ही ग्राम पंचायतों द्वारा आबादी पट्टे जारी किये जा सकते हैं।
मंत्री धारीवाल ने प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से इस सम्बन्ध में पूछे गये पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि सिवायचक जमीन पर बसे गावों को आबादी क्षेत्र में भूमि रूपान्तरण के लिए पहले ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्ताव जिला कलक्टर को भेजे जाते हैं। उन्होंने बताया कि जिला कलक्टर द्वारा भूमि रूपान्तरण आबादी क्षेत्र में करने के बाद ही ग्राम पंचायत ऎसी भूमि पर बसे गांवाें व लोगों को पट्टे जारी कर सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गावों में ऎसी भूमि जिस पर वर्षों से लोग बसे हुए हैं और वह पहले से ही आबादी क्षेत्र घोषित है ऎसे क्षेत्रों में बसे लोगाें को स्थानीय ग्राम पंचायत पट्टे जारी कर सकती है।
इससे पहले विधायक शकुन्तला रावत के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में धारीवाल ने बताया कि
सिवायचक गैर मुमकिन एवं पहाड़ वर्गीकरण की भूमियां स्थानीय आवश्यकताओं के आंकलन पश्चात भूमि का आवंटन स्थानीय निकाय या ग्राम पंचायत को किया जाता है, तदुपरान्त निकाय या ग्राम पंचायत द्वारा पट्टे दिये जाने का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि गोचर किस्म की भूमियों को सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय की पालना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं भूमिहीन कृषक जिनको स्थानीय निकाय या पंचायत द्वारा पट्टे जारी किए जा चुके हैं ,राज्य सरकार की स्वीकृति के उपरान्त योजना बनाकर निकाय या पंचायत द्वारा नियमित किया जा सकता है। शेष के लिए चारागाह भूमि प्रतिबंधित होने के कारण नियमितिकरण नहीं किया जाता है।
धारीवाल ने बताया कि ऎसे गांव जो वर्षों से बसे हैं जो आबादी क्षेत्र में घोषित हो चुके हैं, उनमें विशेष परिस्थितियों को देखते हुए स्कूल, अस्पताल, श्मशान, पंचायत भवन आदि को पंचायत द्वारा पट्टे दिये जा सकते हैं।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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