बाराबंकी। सगीर अहमद समाजवादी आन्दोलन के ईमानदार स्तम्भ थे। वह समाजवाद को जीने वाली परंपरा के योद्धा रहे हैं। उनके पूरे जीवन पर सादगी और समाजवाद की मुहर लगी थी। उनका आचरण, विचार, पहनावा, रहन-सहन और बातचीत समाजवाद की चलती फिरती मिसाल थी। वह जब तक जीवित रहे उनका बाराबंकी से आत्मीय रिश्ता रहा।
यह बात गांधी भवन में गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के सदस्य एवं वरिष्ठ समाजवादी चिन्तक सगीर अहमद के निधन पर आयोजित शोकसभा में ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने कही। इस दौरान उनके चित्र पर माल्र्यापण अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।
श्री शर्मा ने बताया कि सगीर अहमद गांधी ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य थे। वह 1978 से होने वाले गांधी जयन्ती समारोह कार्यक्रम में अजीवन अतिथि रहे। सन 1953 में सगीर साहब आचार्य नरेन्द्र देव से प्रभावित होकर समाजवादी युवजन सभा में शामिल हुए। उन्होंने आचार्य नरेन्द्र देव, डा0 राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, मधुलिमये, जार्ज फर्नाडिस, चन्द्रशेखर जैसे समाजवादी नेताओं के साथ समाजवादी आन्दोलन को अपने संघर्षों से सींचा। उनके समाजवादी विचार युवा पीढी को सदैव दिशा प्रदान करते रहेंगे।
श्री शर्मा ने कहा कि सगीर अहमद संत परंपरा के संवाहक बन युवा पीढी को दिशा प्रदान करते रहेंगे। सगीर अहमद ने सही मायने में समाजवाद को अपने जीवन का आधार बनाया। उनकी सोशलिस्ट विचारधारा मे व्यक्तिगत हित, पद संपत्ति का कोई स्थान नहीं है। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी सगीर अहमद ने हमेशा दूसरों के हक की लडाई को लडा। ऐसे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ प्रेरणास्रोत को श्रद्धांजलि।
इस मौके पर प्रमुख रूप से मृत्युंजय शर्मा, हुमायूं नईम खान, विनय कुमार सिंह, पी.के सिंह, राहुल यादव, सत्यवान वर्मा, रवि प्रताप सिंह, ज्ञान शंकर तिवारी, अशोक जायसवाल, नीरज दूबे, पाटेश्वरी प्रसाद सहित कई लोग मौजूद रहे।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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