जयपुर।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बताया कि अपनों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार आने-जाने के लिए राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों से निःशुल्क यात्रा कराने के लिए शुरू की गई ‘मोक्ष कलश योजना-2020‘ को प्रशासनिक मंजूरी प्रदान कर दी है।
इस योजना में नोडल एजेंसी राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम होगा जबकि वित्त पोषक विभाग देवस्थान विभाग होगा। योजना के तहत हुए समस्त व्यय के भुगतान की व्यवस्था देवस्थान विभाग द्वारा की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के प्रकोप के कारण अपनों की अस्थियों के विसर्जन के लिए इंतजार करने वाले परिवार के दो सदस्यों को अस्थि कलश के साथ हरिद्वार आने-जाने के लिए राजस्थान रोडवेज की बसों से निःशुल्क यात्रा की सुविधा शुरू की थी। यात्रियों का ऑनलाइन पंजीकरण, उन्हें गंतव्य स्थल तक लाने-ले जाने की व्यवस्था, यात्रा के दौरान प्रदान की जाने वाली सुविधा से सम्बन्धित कार्य राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा किए जाएंगे।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसका लाभ आयकरदाता एवं सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर अन्य सभी ले सकेंगे। एक अस्थि कलश के साथ मृतक के परिवार के अधिकतम दो सदस्य जा सकेंगे। पंजीयन के समय मृत व्यक्ति के बारे में पूरा विवरण देना होगा, इनसे सम्बन्धित दस्तावेजों की प्रतियां अस्थि कलश लेकर जाने वालों को अपने साथ रखनी होंगी। एक बस में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अधिकतम 46 यात्री जा सकेंगे। हरिद्वार में अस्थि विसर्जन एवं पूजा पाठ सम्बन्धी कार्य अस्थि कलश लेकर जाने वालों को स्वयं करना होगा।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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