नयी दिल्ली, : श्रम मंत्रालय ने कर्मचारियों के साथ-साथ नियोक्ताओं की शिकायतों के समाधान के साथ ही जमीनी स्तर पर श्रम कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये अगले महीने नया पोर्टल 'संतुष्ट' शुरू करने की योजना बनायी है। एक सूत्र ने यह कहा।
शुरू में संतुष्ट कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) तथा स्वास्थ्य और बीमा सेवा प्रदाता ईएसआईसी द्वारा संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को दी जाने वाली सेवाओं की निगरानी करेगा।
बाद में पोर्टल मंत्रालय की अन्य इकाइयों के कार्यों को शामिल करेगा। इसमें प्रत्येक अधिकारियों के कामकाज का आकलन का वास्तविक समय आधारित आंकड़ा भी होगा।
सूत्र के अनुसार कर्मचारी और नियोक्ता अपनी शिकायतें पोर्टल पर दर्ज करा सकते हैं। इसकी निगरानी आंतरिक प्रकोष्ठ करेगा। इसमें पांच से छह अधिकारी होंगे।
फिलहाल मंत्रालय 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं... वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और कार्य स्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज की स्थिति...में श्रेणीबद्ध करने की प्रक्रिया में है।
मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों को उम्मीद है कि चारों संहिताएं 2020 में अमल में आ जाएंगी। सूत्र ने कहा, ''मंत्रालय चारों श्रम संहिताओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहता है जो 2020 में वास्तविक रूप ले सकते हैं।''
उसने कहा, ''रोजगार सृजित करने और मजबूत आर्थिक वृद्धि के लिये अनुकूल माहौल को लेकर कर्मचारियों की सुरक्षा, अधिकारों और सुविधाओं के लिये सिर्फ कानून बनाना पर्याप्त नहीं है। बल्कि इसका प्रभावी क्रियान्वयन भी जरूरी है।''
पोर्टल पर ईपीएफओ और ईएसआईसी के कामकाज से जुड़े सभी आंकड़े होंगे।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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