नयी दिल्ली, : सरकार ने रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामलों का एक नया विभाग बनाया है और नवनियुक्त चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत इसके प्रमुख होंगे।
मंगलवार को जारी एक सरकारी आदेश में यह जानकारी दी गई।
थल सेना प्रमुख के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके जनरल रावत को सोमवार को देश का पहला सीडीएस नामित किया गया था।
आदेश के अनुसार नए विभाग के पास तीनों सेनाओं - थल सेना, नौसेना और वायु सेना से संबंधित कार्य होंगे। इसके अलावा मौजूदा नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार पूंजीगत खरीद को छोड़कर सेवाओं के लिए विशिष्ट खरीद की भी जिम्मेदारी नए विभाग के पास होगी।
इस आदेश में कहा गया है कि विभाग संयुक्त और थिएटर कमानों की स्थापना सहित संचालन में सहयोग के जरिए संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए सैन्य कमांड के पुनर्गठन की सुविधा सुनिश्चित करेगा।
इसके अलावा यह संयुक्त योजनाओं और आवश्यकताओं के एकीकरण के जरिए सैन्य सेवाओं में खरीद, प्रशिक्षण और स्टॉफ की नियुक्ति की प्रक्रिया में समन्वय लाएगा।
साथ ही विभाग सेना में स्वदेश निर्मित उपकरणों के इस्तेमाल को बढ़ावा देगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत सरकार (कामकाज का आवंटन) नियमावली, 1961 में बदलाव को मंजूरी दे दी और इसके बाद विभाग का गठन किया गया।
इस परिवर्तन के बाद रक्षा मंत्रालय के अधीन अब पांच विभाग होंगे। इन विभागों में रक्षा विभाग, सैन्य मामलों के विभाग, रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग और भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग शामिल हैं।
सैन्य मामलों के विभाग में रक्षा मंत्रालय का एक एकीकृत मुख्यालय होगा जिसमें थल सेना मुख्यालय, नौसेना मुख्यालय, वायु मुख्यालय, डिफेंस स्टाफ मुख्यालय और प्रादेशिक सेना शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 दिसंबर को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के सृजन को मंजूरी दी थी।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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