रायपुर, : छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में सिंचाई विकास प्राधिकरण बनाने का फैसला किया है।
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ के किसानों को सिंचाई सुविधाओं का भरपूर लाभ प्रदान करने के लिए राज्य में सिंचाई विकास प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिंचाई विकास प्राधिकरण के गठन का आदेश दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य में वर्तमान में वास्तविक सिंचाई क्षमता 10.38 लाख हेक्टेयर है जो कि कुल कृषि योग्य भूमि का 18 प्रतिशत है।
उनके अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा है कि सिंचाई साधनों का विकास राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है और इसके लिए मिशन मोड में कार्य करना आवश्यक है। इस बात को ध्यान में रखते हुए राज्य में छत्तीसगढ़ सिंचाई प्राधिकरण का गठन किया जाएगा।
अधिकारियों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा है कि पूर्व में गठित छत्तीसगढ़ अधोसंरचना विकास निगम (सीआईडीसी) का वर्तमान में अपेक्षित उपयोग नहीं हो रहा है इसलिए आईडीसी को ही सिंचाई विकास प्राधिकरण में परिवर्तित किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में कुल कृषि योग्य भूमि लगभग 57 लाख हेक्टेयर है। वर्ष 2004 में राज्य में निर्मित सिंचाई क्षमता 15 लाख 51 हजार हेक्टेयर और वास्तविक सिंचाई क्षमता 10 लाख 22 हजार हेक्टेयर थी, वहीं वर्ष 2018 में निर्मित सिंचाई क्षमता 20 लाख 88 हजार हेक्टेयर जबकि वास्तविक सिंचाई क्षमता केवल 10 लाख 38 हजार हेक्टेयर ही हो पाई है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सिंचाई विकास प्राधिकरण राज्य में वास्तविक सिंचाई क्षमता के विस्तार के साथ ही नवीन सिंचाई योजनाओं के निर्माण की कार्ययोजना बनाएगा ताकि किसानों को उसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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