कमरे का दरवाजा बंद कर छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली घटना से परिवार में कोहराम मच गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। घटना देहात क्षेत्र के ऑफिसर्स कॉलोनी की है यहाँ पर चकबंदी विभाग में लेखाधिकारी पद पर तैनात राजीव गुप्ता का परिवार रहता है।परिवार में पत्नी मीनाक्षी गुप्ता, पुत्र केशव गुप्ता और पुत्री वर्णिका गुप्ता भी है। राजीव गुप्ता की पुत्री वर्णिका नगर के जेएस हिन्दू डिग्री कॉलेज में बीकॉम तृतीय वर्ष की छात्रा थी जबकि पुत्र केशव गुप्ता मुरादाबाद के टीएमयू में बीकॉम द्वितीय वर्ष का छात्र है राजीव गुप्ता की पत्नी रसोई में खाना बनाने लगी लेकिन नहाने के बाद वर्णिका ने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया कुछ देर बाद केशव नहाने के लिए जाने लगा तो उसने अपनी बनियान निकालने के लिए कमरे का दरवाजा खटखटाया लेकिन दरवाज़ा नही खुला कुछ देर बाद दरवाज़े के नीचे से खाली जगह पर उसने आईना रखकर अंदर देखा तो उसकी चीख निकल गई उसने देखा कि उसकी बहन का शव पंखे में दुपट्टे के सहारे फांसी पर झूल रहा है आनन फानन में कमरे का दरवाज़ा तोड़ा गया और मामले की जानकारी राजीव गुप्ता को फोन पर दी गई।वह भी घर वापिस आ गए।सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को फंदे से उतारा।शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।आत्महत्या के कारणों का पता नही लग सका है।छात्रा की मौत से परिवार वालो का रो रोकर बुरा हाल है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
टिप्पणियाँ