उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने प्रदेश के नागरिकों का धन्यवाद और आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि राज्यपाल के रूप में उनके पांच साल के कार्यकाल पर आधारित अपने संस्मरण भेजें ताकि उसे उनकी पुस्तक 'चरैवेति!चरैवेति!! (दो)' में सम्मिलित किया जा सके। राज्यपाल अपने कार्यकाल से जुड़े संस्मरणों को शब्दों का रूप देंगे। नागरिकगण अपने संस्मरण डाक या ई-मेल me@ramnaik.com पर 20 जुलाई 2019 तक प्रेषित कर सकते हैं। संस्मरण के साथ अपना रंगीन छायाचित्र और संक्षिप्त परिचय भेजने का सुझाव भी दिया गया है। श्री नाईक ने पांच साल पहले 22 जुलाई 2014 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद की शपथ ली थी।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश की जनता से उन्हें अपने पांच साल के कार्यकाल में भरपूर सहयोग, सम्मान, स्नेह और समर्थन मिला। राज्यपाल चाहते हैं कि प्रदेश की जनता के संस्मरण को अपनी दूसरी पुस्तक में संजोये, जो उनके और प्रदेश की जनता के बीच आजीवन एवं अनवरत संवाद बनाये रखने की दृष्टि से, उनके लिए एक अनमोल तोहफा होगा। पांच साल तक राज्यपाल ने निरंतर अपना वार्षिक कार्यवृत्त (राजभवन में राम नाईक) के नाम से प्रकाशित करके आम जनता तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया। पांचवे साल का कार्यवृत्त का विमोचन 15 जुलाई 2019 को होगा।
राज्यपाल ने गत पांच वर्षों में 30,107 लोगों से भेंट की तथा 1,730 सार्वजनिक कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए। इस दौरान नये लोगों से भेंट हुई और नये संबंध भी बने। श्री नाईक ने राज्यपाल को प्रतिवर्ष देय 20 दिन के अवकाश में से गत पांच वर्षों में 100 दिन के स्वीकृत अवकाश में केवल 22 दिन का ही अवकाश लिया।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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