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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का ज्यादातर पार्टियों ने किया समर्थन, प्रधानमंत्री बनाएंगे समिति: सरकार


नयी दिल्ली, - देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एकसाथ कराने के विषय पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद सरकार ने कहा कि इसमें शामिल ज्यादातर पार्टियों ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का समर्थन किया और इसपर सभी पक्षों के साथ विचार करने के लिए एक समिति गठित की जाएगी।

संसद भवन में परिसर पर हुई बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी समिति गठित करेंगे जो निश्चित समय-सीमा में सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श करके अपनी रिपोर्ट देगी।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पांच विषयों- संसद में कामकाज को बढ़ाना, एक राष्ट्र-एक चुनाव, आजादी के 75वें वर्ष में नए भारत का निर्माण, गांधी जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजन, आकांक्षी जिलों का विकास- पर चर्चा के लिए 40 दलों के प्रमुखों को आमंत्रित किया था, हालांकि इसमें 21 राजनीतिक दल शामिल हुए और तीन दलों ने बैठक में अपना लिखित पक्ष रखा।

बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा और तेलुगू देशम पार्टी सहित 16 पार्टियां शामिल नहीं हुईं। हालांकि, राकांपा ने बैठक में हिस्सा लिया।

सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ''संसद में कामकाज बढ़ाने पर सभी राजनीतिक दलों में आम सहमति बनी। यह भी कहा गया है कि संसद में संवाद और वार्तालाप का माहौल बने रहना चाहिए।'' 

उन्होंने कहा कि ज्यादातर सदस्यों ने एक देश, एक चुनाव के मुद्दे पर समर्थन दिया। भाकपा और माकपा ने थोड़ी बहुत मत-भिन्नता जाहिर की। उनका कहना था कि यह कैसे होगा, हालांकि उन्होंने एक राष्ट्र, एक चुनाव का सीधे तौर पर विरोध नहीं किया।

सिंह ने कहा, ''प्रधानमंत्री ने इस बैठक में यह भी निर्णय किया कि एक समिति का गठन किया जाएगा जो निर्धारित सीमा में सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर अपनी रिपोर्ट देगी। प्रधानमंत्री जी समिति बनाएंगे और फिर इसका ब्योरा जारी किया जाएगा।'' 

कांग्रेस और कई अन्य दलों के इस बैठक में शामिल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर रक्षा मंत्री ने कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का मुद्दा सरकार का नहीं बल्कि देश का एजेंडा है।

उन्होंने कहा, ''बैठक में शामिल कई दलों ने इस बात पर जोर दिया कि महात्मा गांधी के विचारों के बारे में नयी पीढ़ी को बताया जाना चाहिए। इसके लिए 150 वीं जयंती का आयोजन एक बेहतरीन मौका है। आकांक्षी जिलों को लेकर सभी दलों का सकारात्मक रुख दिखाया और इसकी सराहना की।'' 

सिंह के मुताबिक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देशवासियों के लिए महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जो आजादी की लड़ाई के समय थे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जल प्रबंधन की जरूरत पर भी जोर दिया।

सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, जद (यू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार, लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान, आरपीआई अध्यक्ष रामदास अठावले और अपना दल (एस) अध्यक्ष आशीष पटेल भी शामिल हुए। 

सूत्रों के मुताबिक शिवसेना का स्थापना दिवस होने के कारण उद्धव ठाकरे इसमें शामिल नहीं हो सके।

गैर राजग दलों में बीजद के अध्यक्ष नवीन पटनायक, एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, नेशनल कान्फ्रेंस अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव सुधाकर रेड्डी, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी भी बैठक में शामिल हुए। 


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