बिलासपुर, -: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने सोमवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में पदस्थ एक चिकित्सक को 50 हजार रूपए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों ने यहां बताया कि ब्यूरो की टीम ने सोमवार को बिलासपुर के सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ पूर्व गर्भाधान एवं पूर्व प्रसव नैदानिक तकनीक मामलों के नोडल अधिकारी डाक्टर अविनाश खरे को 50 हजार रूपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
अधिकारियों ने बताया कि रेडियोलोजिस्ट डाक्टर राहुल जायसवाल का बिलासपुर में सिम्स अस्पताल के सामने और पेंड्रा रोड में सोनोग्राफी सेंटर है। दो माह पूर्व उन्हें पूर्व गर्भाधान एवं पूर्व प्रसव नैदानिक तकनीक मामलों के नोडल अधिकारी डाक्टर अविनाश की तरफ से उनके सोनोग्राफी सेंटर में कुछ खामियां सुधारने के लिए नोटिस भेजा गया था।
उन्होंने बताया कि डाक्टर जायसवाल बिलासपुर में सिटी स्कैन मशीन भी स्थापित करना चाहते थे। उन्होंने इस मामले में अनुमति लेने तथा पुराने नोटिस के संबंध में डाक्टर अविनाश से संपर्क किया तब डाक्टर अविनाश ने उनके सामने दोनों सोनोग्राफी सेंटर को बेरोकटोक चलाने के लिए एक-एक लाख रूपये सालाना तथा सिटी स्कैन मशीन स्थापित करने के लिए एक लाख रूपये की रिश्वत की मांग की।
अधिकारियों ने बताया कि डाक्टर जायसवाल ने उन्हें सिटी स्कैन के लिए 25 हजार रूपये की शुरूआती रकम दे दी और एसीबी में शिकायत दर्ज कर दी।
उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने के बाद एसीबी ने उन्हें सलाह दी कि वे डाक्टर अविनाश से मोलभाव करें और उसे रिकार्ड भी कर लें। डाक्टर जायसवाल ने ऐसा ही किया और 75 हजार रूपये में मामला तय हो गया।
अधिकारियों ने बताया कि एसीबी ने आज सोमवार को ट्रैप करने की योजना बनाई और जब डाक्टर अविनाश के दफ्तर में डाक्टर जायसवाल ने उन्हें 50 हजार रूपये की नकद रकम दी तब एसीबी की टीम ने उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
डाक्टर अविनाश के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया तथा देर शाम एसीबी ने डाक्टर अविनाश को प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश खिलावन राम रिगरी की अदालत में प्रस्तुत किया। अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया है।
वक़्फ़ संशोधन बिल के विरोधियों को लखनऊ पुलिस द्वारा भेजा गया नोटिस असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ले एक्शन- शाहनवाज़ आलम
नयी दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 . कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ विचार रखने वाले नागरिकों के संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और विरोध करने के मौलिक अधिकारों के हनन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसलों की अवमानना पर स्वतः संज्ञान लेकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई की मांग की है. शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि लखनऊ के कई नागरिकों को लखनऊ पुलिस द्वारा उनकी तरफ से वक़्फ़ संशोधन विधेयक के खिलाफ़ होने वाले संभावित प्रदर्शनों में शामिल होने का अंदेशा जताकर उन्हें नोटिस भेजा गया है. जबकि अभी नागरिकों की तरफ से कोई विरोध प्रदर्शन आयोजित हुआ भी नहीं है. सबसे गम्भीर मुद्दा यह है कि इन नोटिसों में नागरिकों को अगले एक साल तक के लिए उनसे शांति भंग का खतरा बताते हुए 50 हज़ार रुपये भी जमा कराने के साथ इतनी धनराशि की दो ज़मानतें भी मांगी जा रही हैं. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यूपी पुलिस यह कैसे भूल सकती है कि उसकी यह कार्यवाई संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है जो नागर...
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